पटना. बिहार में एक बार फिर से राजनीतिक गर्मियां तेज हो गई. बीजेपी के एक खुलासे ने राजद को मुश्किलों में ला दिया है. यदि बीजेपी चुनाव आयोग से तेजस्वी के कारोबार की शिकायत करती है तो उनकी विपक्ष नेता की सदस्यता भी जा सकती है. लेकिन ऐसा करने से बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने इंकार कर दिया है. पिता लालू प्रसाद की बीमारी और कानूनी झंझटों में फंसे होने के चलते तेजस्वी पहले से ही परेशान हैं. पार्टी और परिवार की पूरी जिम्मेदारी अब तेजस्वी के कंधे पर है. ऐसे में ताजा संकटों से उबरना तेजस्वी के लिए आसान नहीं होगा.
जिंदल स्टील के साथ तेजस्वी के कारोबार के नए खुलासे पर लालू परिवार की परेशानियों में इजाफा होना तय है. चुनाव आयोग में शिकायत जाने पर तेजस्वी की विधानसभा सदस्यता भी जा सकती है. हालांकि सुशील मोदी ने इससे इनकार किया है और कहा है कि वह राजनीतिक आदमी हैं. पब्लिक फोरम में बात रखेंगे. चुनाव आयोग में जाना हमारा काम नहीं है, लेकिन अगर जांच एजेंसियां हमसे सहयोग मांगेगी तो उसमें पीछे नहीं रहेंगे.
सुशील मोदी के आरोपों पर तेजस्वी ने जवाब देने से इनकार किया, लेकिन उन्होंने डिप्टी सीएम को झूठा बताया और कहा कि एक ही टेप को वह बार-बार सुना रहे हैं. कहा, कारोबार-व्यापार पर सिर्फ उनके परिवार का अधिकार नहीं है. तेजस्वी ने सुशील मोदी को नसीहत देते हुए कहा कि वह लालू परिवार की चिंता छोड़ अपनी चिंता करें.
क्या लगाया था आरोप
सुशील मोदी ने प्रेस कान्फ्रेंस करके दो दिनों में तेजस्वी पर दो बड़े आरोप लगाए हैं. पहले आरोप में उन्होंने तेजस्वी को जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के बिहार में हैंडलिंग एंड स्टोरेज एजेंट बताया और कहा कि यह काम वह पिछले छह वर्षों से करते आ रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने इसका जिक्र नहीं किया है. मोदी ने अपने दूसरे खुलासे में जांच एजेंसियों को तेजस्वी के खिलाफ नया हथियार दे दिया है. उन्होंने अवैध तरीके से पटना में कीमती 255 डिसमिल जमीन हथियाने के सबूत जारी कर लालू परिवार की मुश्किल बढ़ा दी है.लें खत्म हो सकती है विपक्ष नेता की सदस्यता
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