नई दिल्ली (एजेंसी)। उन्ना रेप पीड़िता के पिता की हत्या मामले में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर समेत 7 लोगों को 10-10 साल की सजा और 10-10 लाख रुपये जुर्माने लगाया है। बता दें कि बीते दिनों कोर्ट ने सभी को दोषी करार दिया था। जिसमें यूपी पुलिस के दो अधिकारी (एक एचएसओ और एक हेड कांस्टेबल) भी शामिल है। जबकि 4 लोगों को बरी कर दिया था। इस मामले में 11 लोगों पर आरोप तय किए गए थे। वीरवार को इस मामले में हुई सुनवाई पर कोर्ट ने मामले को सुरक्षित रखा था।बता दें कि फैसला सुनाते हुए तीस हजारी कोर्ट के जज ने कहा कि यह मेरी जिंदगी का सबसे चुनौतीपूर्ण ट्रायल रहा। जज ने सीबीआई और पीड़ित के वकील की भी सराहना की।
तीस हजारी कोर्ट ने इससे पहले 29 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई की थी और फैसले के लिए 4 मार्च की तिथि तय की थी। इस केस में पीड़िता के पक्ष से कुल 55 लोगों ने गवाही दी। वहीं बचाव पक्ष की तरफ से नौ गवाह कोर्ट में पेश हुए। गौरतलब है कि 9 अप्रैल 2018 को उन्नाव में पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। पीड़िता के परिजनों ने हत्या का आरोप कुलदीप सेंगर पर लगाया था। वहीं इस बारे में 13 अगस्त 2019 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) धर्मेश शर्मा ने कहा था-पीड़िता के पिता को कथित रूप से गलत तरीके से फंसाया गया था। उन्हें हिरासत में भेज दिया गया था। जहां उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके पीछे क्या कोई मंशा थी? यह सब जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी साजिश थी, जो पीड़िता के पिता को पैरवी करने से रोकने के लिए की गई थी। कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर, उनके भाई अतुल सेंगर, उत्तर प्रदेश पुलिस के तीन कर्मियों और पांच अन्य लोगों पर आरोप तय किए थे।
तीस हजारी कोर्ट ने इससे पहले 29 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई की थी और फैसले के लिए 4 मार्च की तिथि तय की थी। इस केस में पीड़िता के पक्ष से कुल 55 लोगों ने गवाही दी। वहीं बचाव पक्ष की तरफ से नौ गवाह कोर्ट में पेश हुए। गौरतलब है कि 9 अप्रैल 2018 को उन्नाव में पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। पीड़िता के परिजनों ने हत्या का आरोप कुलदीप सेंगर पर लगाया था। वहीं इस बारे में 13 अगस्त 2019 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) धर्मेश शर्मा ने कहा था-पीड़िता के पिता को कथित रूप से गलत तरीके से फंसाया गया था। उन्हें हिरासत में भेज दिया गया था। जहां उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके पीछे क्या कोई मंशा थी? यह सब जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी साजिश थी, जो पीड़िता के पिता को पैरवी करने से रोकने के लिए की गई थी। कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर, उनके भाई अतुल सेंगर, उत्तर प्रदेश पुलिस के तीन कर्मियों और पांच अन्य लोगों पर आरोप तय किए थे।
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