कोविड-19 से बचाव व इलाज के लिए वित्तीय संसाधनों को जुटाने में लगी सरकार अपने राजस्व खर्चों को कम करने में जुटी है। डीए, डीआर को फ्रीज करने और भत्तों के भुगतान पर रोक लगाने का बड़ा कदम सरकार ने उठा लिया है। राजस्व संबंधी अन्य खर्चों में भी कटौती किए जाने पर मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि नए वाहनों की खरीद, अनुरक्षण, स्थानांतरण खर्च, आतिथ्य व्यय, भोजन व्यय, अवकाश यात्रा व्यय, पूंजीगत परिसंपत्तियों का सृजन को कम कर सकती है। राज्य के कुल सालाना बजट का करीब 80 फीसदी राजस्व खर्चे के लिए होता है। इस राजस्व खर्चे में से 50 फीसदी धनराशि कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, भत्ते तथा अन्य लाभों में चला जाता है।
वेतन, सहायता अनुदान सामान्य वेतन, मजदूरी, महंगाई भत्ता, अन्य भत्ते, मानदेय, पेंशन, आनतोषिक तथा अन्य सेवानिवृत्त हितलाभ, मकान किराया भत्ता, नगर प्रतिकर भत्ता, प्रैक्टिस बंदी भत्ता, आउट सोर्सिंग सेवाओं के लिए भुगतान, एकमुश्त नियोक्ता एवं अभिदाता अंशदान तथा वर्दी व्यय पर 2020-21 में कुल राजस्व व्यय का 49.82 फीसदी खर्च हो जाता है। शेष 50 फीसदी में राज्य सरकार के राजस्व संबंधी अन्य खर्चे शामिल हैं। वेतन, पेंशन और भत्ते दिया जाना जरूरी है इस लिहाज से सरकार इसमें बहुत कटौती करने की स्थिति में नहीं रहती है।
राजस्व मद के अन्य खर्चे, जिसे कम किया जा सकता है:-
शेष 50 फीसदी राजस्व खर्चों में भी भारी कटौती करने पर विचार सरकार के स्तर पर चलने की बातें सामने आ रही हैं। ऐसे खर्चों में यात्रा व्यय, स्थानांतरण यात्रा भत्ता, कार्यालय फर्नीचर व उपकरण, लेखन सामग्री, टेलीफोन, मोटर वाहनों की खरीद, मरम्मत व पेट्रोल, विज्ञापन, छात्रवृत्तियां, आतिथ्य व्यय, मशीनें व उपकरण, सब्सिडी, सहायता अनुदार गैर वेतन, ब्याज, लाभांश, पूंजीगत परिसंपत्तियों का सृजन, अंतरिम सहायता, औषधि व रसायन, प्रशिक्षण, अवकाश यात्रा भत्ता, कंप्यूटर हार्डवेयर व साफ्टवेयर तथा अनुरक्षण, चिकित्सा व्यय, पुनरीक्षित वेतन व पेंशन अवशेषों का भुगतान आदि शामिल है। इनमें कुछ ऐसे मद हैं जहां पर खर्चों को कम करने की कवायद चल रही है। ऐसा होने पर राज्य सरकार कोरोना से जंग के लिए बड़ी धनराशि का प्रबंध कर सकेगी।
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