नई दिल्ली : उद्योगपति विजय माल्या के देश छोड़ कर जाने के पीछे आपराधिक षड्यंत्र होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस सहित विपक्ष ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा किया और दावा किया कि सरकार ने उसे भाग जाने दिया। इस पर सरकार ने पलटवार करते हुए कहा कि माल्या को ऋण सुविधाएं संप्रग सरकार के शासनकाल में दी गयी थी तथा वह ‘हमारे के लिए कोई संत नहीं है।’ लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शून्यकाल में इस विषय को उठाया था और इसे बेहद गंभीर बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा कि माल्या ने कब ऋण लिया कब नहीं, ये बात ज्यादा मायने नहीं रखती, बात यह है कि वह देश से भागने में सफल कैसे हुआ।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विजय माल्या द्वारा बैंकों से लिये गए कर्ज की राशि ब्याज सहित 13 नवंबर 2015 तक 9091.40 करोड़ रुपये हो गई थी। यह राशि उनसे वसूलने के लिए हर कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें बुनियदी विषय और खातों का सवाल है. विजय माल्या को कसोर्शियम बैंक ने पहली मंजूरी सितंबर 2004 में की थी। इस सुविधा का फरवरी 2008 में नवीकरण किया गया।। 13 अप्रैल 2009 को खातों को गैर निष्पादित आस्तियां घोषित किया गया।
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