अहमदाबाद। मामला है 11 महीने की मासूम बच्ची की कस्टडी का। बच्ची के पिता तो पहले ही उसे रखने से इनकार कर चुके थे, अब मां भी रखना नहीं चाह रही। मां ने कोर्ट के आगे कहा कि उसकी दूसरी शादी में 11 महीने की बच्ची एक बड़ी अड़चन बन सकती है ऐसे में वो इसे रखना नहीं चाहती। इस पर महिला जज ने वकील मां से पूछा कि 11 माह की बच्ची मां के बिना कैसे रह पाएगी? ऐसा पूछते-पूछते महिला जज तो भावुक हो गईं, मगर मां नहीं पिघली।
दरअसल, डॉक्टर पिता और वकील मां के बीच 11 महीने की मासूम बच्ची फंसी है। महिला वकील जब गर्भवती थी तब डॉक्टर को बेटा चाहिए था। हालांकि बेटी होने के बाद डॉक्टर बाप ने मां और बेटी को घर से निकाल दिया, वहीं महिला वकील ने तलाक के लिए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वकील महिला द्वारा फैमिली कोर्ट में दायर अर्जी में कहा गया था कि उसके पति का एक और महिला से रिश्ता है। ऐसे में उसे तलाक चाहिए, साथ ही निभाव खर्च भी। इसके खिलाफ पति ने उसके खिलाफ दहेज़ उत्पीडन की पत्नी की ओर से दर्ज हुई फरियाद को रद्द कराने के लिए गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
आखिर पिता ने ही बच्ची को अपने पास रखना स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने पूछा ‘आप इसे कैसे रखेंगे’? जिसके जवाब में पिता ने कहा कि उसके परिवार मैं खुद, मेरी मां, बहन और भाई सभी हैं। हम सब मिलकर बच्ची का ख्याल रख लेंगे। पिता के इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने मानवीयता दिखाते हुए बच्ची की कस्टडी पिता को सौंप दी और मां से कहा कि वो बच्ची से समय-समय पर मिलती रहे। हालांकि कोर्ट के इस निर्देश पर महिला वकील ने कोई जवाब नहीं दिया। कोर्ट के इस आदेश के बाद पिता के खिलाफ दर्ज दहेज़ उत्पीडन के केस को कोर्ट ने रद्द कर दिया।
कोर्ट रूम से एक साथ निकले मां और बाप दोनों में से मां तो अपने आप को आज़ाद महसूस कर रही थी। पर बाप जिस जिम्मेदारी से अबतक भाग रहा था, वो उसी जिम्मेदारी से खुद को बंधा पा रहा है। लेकिन इन बीच उस बच्ची के नसीब पर हर कोई दुःख जता रहा था। जो कम उम्र में ही मां के लाड़-प्यार से हमेशा के लिए दूर हो गई।
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