नई दिल्ली। छात्रों पर पुलिस की कथित बर्बर कार्रवाई के खिलाफ मंगलवार को यहां पुलिस मुख्यालय के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन के मौके पर दिल्ली के पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हक सबको है लेकिन ऐसा कुछ भी कानून व्यवस्था की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
बस्सी ने गत शनिवार को राष्ट्रीय सेवक संघ के मुख्यालय के बाहर पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी छात्रों को कथित तौर पर बर्बर तरीके से पीटने के सवाल पर संवाददाताओं से कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने और अपनी बात कहने का मौलिक अधिकार देश के हर नागरिक को मिला हुआ है लेकिन इस अधिकार के साथ कुछ कर्तव्य और जिम्मेदारियां भी जुड़ी हुई हैं जिसका ध्यान सबको रखना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए जिससे कि कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़े।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के अनुसार किसी भी क्षेत्र या इलाके में यदि कोई धरना प्रदर्शन किया जाता है तो उसकी पूर्वानुमति उस क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त से लेनी जरुरी है। पुलिस उपायुक्तों को कानून-व्यवस्था के नजरिए से क्या सही है यह देखते हुए इस बारे में उचित फैसला लेने का अधिकार है। इस अधिकार पर सवाल उठाना कतई सही नहीं है।
बस्सी ने शनिवार की घटना में पुलिस की विवादित भूमिका पर कहा कि पुलिस पर यह गलत आरोप लगाए जा रहे हैं कि उसने छात्रों की निर्मम पिटाई की। उन्होंने कहा कि छात्रों को शनिवार को विरोध प्रदर्शन के लिए जो समय दिया गया था वे उससे पहले ही पहुंच गए थे और प्रतिबंधित क्षेत्र में जबरन घुसने की कोशिश की थी। फिर भी लोगों की तसल्ली के लिए घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। रिपोर्ट आने पर सबकुछ साफ हो जाएगा।
कहा, नहीं मिला महिला आयोग का समन
महिलाओं के खिलाफ अपराधों का ब्यौरा नहीं भेजने के मामले में दिल्ली महिला आयोग की ओर से उन्हें भेजे गए समन के सवाल पर बस्सी ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई समन नहीं मिला है जब मिलेगा वह बता देंगे। शनिवार की घटना को लेकर वामपंथी दलों से जुड़े कई छात्र सगंठनों ने आज पुलिस मुख्यालय के बाहर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी छात्र दोषी पुलिस कर्मियों को खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे।
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