बुधवार को सदन में राहुल गांधी की ओर से हुए तीखे हमले का जवाब गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुटीले अंदाज में दिया और कांग्रेस उपाध्यक्ष को कई सीख दे डालीं। मोदी ने कहा कि राहुल हीनभावना से ग्रसित हैं। वे अपने से बड़ों का सम्मान करना नहीं जानते और उनकी पार्टी सदन को चलाने में सहयोग नहीं करना नहीं चाहती। मोदी ने उनके पिता राजीव गांधी, दादी इंदिरा गांधी और दादा जवाहरलाल नेहरू के उद्धरणों और स्टालिन के एक संदर्भ का सहारा लेते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष और अध्यक्ष सोनिया गांधी पर जबरदस्त पलटवार किया। राहुल के इस आरोप पर कि प्रधानमंत्री से सब मंत्री और भाजपा सांसद डरते हैं और कुछ बोलते नहीं, मोदी ने तत्कालीन सोवियत संघ तानाशाह नेता जोजफ स्टालिन से जुड़े एक प्रसंग को सुनाते हुए कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि स्टालिन के निधन के बाद सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने निकिता ख्रुश्चेव एक बार पार्टी की महासभा में स्टालिन को काफी बुरा-भला कह रहे थे। इस पर सभा में बैठे किसी सदस्य ने उनसे सवाल किया कि तब वे (खु्रश्चेव) कहां थे? इस पर ख्रुश्चेव ने कहा-कौन है यह? और उस व्यक्ति के सामने आने पर खु्रश्चेव ने उससे कहा- आज आप बोल सकते हैं, तब नहीं बोल सकते थे। मोदी ने इस संदर्भ को कांग्रेस नेतृत्व पर पलटवार करने के लिए इस्तेमाल करते हुए कहा- हम सभी लोग सार्वजनिक जीवन में जवाबदेह हैं और कोई भी हमसे सवाल पूछ सकता है। लेकिन कुछ हैं जिनसे कोई सवाल नहीं पूछ सकता और न पूछने की हिम्मत करता है और जो पूछता है उसका हश्र क्या होता है, मैंने देखा है।
राहुल और सोनिया गांधी पर परोक्ष प्रहार करते हुए उन्होंने कहा- सदन क्यों नहीं चलने दिया जा रहा? सदन हीनभावना के कारण नहीं चलने दिया जा रहा। संसद में ऐसे और भी होनहार , तेजस्वी सांसद हैं जिन्हें सुनना अपने आप में एक थाती है। लेकिन कुछ लोग सोचते हैं कि यदि ऐसे होनहार तेजस्वी सदस्य बोलेंगे तो हमारा क्या होगा? मोदी ने इसी क्रम में कहा कि ऐसे लोग चाहते हैं कि विपक्ष में कोई ताकतवर नहीं बन जाए। विपक्ष में कोई होनहार नहीं बनना चाहिए। कोई तेजस्वी नहीं दिखना चाहिए। उनकी प्रतिभा का परिचय देश को नहीं हो पाए, यह हीनभावना है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले दो सत्रों में विपक्ष के ऐसे किसी होनहार सदस्य की बात हमें सुनने को नहीं मिली। इस पर कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रतिवाद करते हुए कहा कि किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। मोदी ने पलटवार करते हुए कहा- मेक इन इंडिया का मजाक उड़ा रहे हैं। क्या यह सही है? अगर यह सफल नहीं है तो उसे सफल बनाने के लिए चर्चा करनी चाहिए, सुझाव देने चाहिए।
उन्होंने कहा कि 14 सालों से आलोचना सुनता आ रहा हूं। वास्तव में इन वर्षो में आलोचना से अधिक आरोप ज्यादा लगे। लगातार उपदेश भी सुनता रहता हूं। मुझे अब इनसे कोई समस्या नहीं होती। उपदेश सुनता रहता हूं, आलोचनाएं सहता रहता हूं। 14 सालों में इन सब के साथ जीना सीख गया हूं। इस संदर्भ में उन्होंने तुलसीदास की रामचरित मानस की एक चौपाई पढ़ी: पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे आचारही ते नर न घनेरे।
उन्होंने कहा: लेकिन यह देश उस वाकये को नहीं भूल सकता जब हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 27 सितंबर 2013 को अमेरिका में थे और एक प्रेस वार्ता में उस अध्यादेश को फाड़ दिया गया था जिसे उस समय की कैबिनेट ने पारित किया था। जिसमें फारूक अब्दुल्ला, एके एंटनी, शरद पवार जैसे महानुभाव थे। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने एक संवाददाता सम्मेलन में दोषी पाए गए सांसदों के पद पर नहीं बने रहने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध लाए गए सरकारी अध्यादेश की प्रति को फाड़ दिया था।
उन्होंने कहा- अगर हम अपने देश की खराब छवि पेश करेंगे और ऐसा पेश करेंगे कि जैसे हम भीख का कटोरा लिखे खड़े हैं तो दूसरे भी चीख कर हमारा उपहास उड़ाएंगे। मोदी ने फिर कहा- यह मैं नहीं कह रहा हूं। यह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इंद्रप्रस्थ कालेज में दिए अपने एक भाषण में कहा था। मोदी ने संसद में व्यावधान डाले जाने के संदर्भ में कहा: पिछले दिनों सदन में जो कुछ हुआ, उससे मैं पीड़ित और दुखी हूं। सदन के ना चलने से सत्ता पक्ष का कम और विपक्ष का ज्यादा नुकसान होता है। वे जनता के मुद्दे नहीं उठा पाते। कितनी ही नाराजगी हो, विरोधी विचार हो- यह वह मंच है जहां तर्क रखे जाते हैं, तीखे सवाल किए जाते हैं। सरकार को जवाब देना होता है, अपना बचाव करना होता है, सफाई देनी होती है। बहस में किसी को बख्शा नहीं जाता और बख्शा जाना भी नहीं चाहिए, पर बहस के दौरान गरिमा रखी जाए, साख बनी रहे तो बात अधिक मजबूती से रख पाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा-यह उपदेश भी नरेंद्र मोदी का नहीं है, यह श्रीमान राजीव गांधी ने कहा था। संसद में व्यवधान के संबंध में एक बार फिर कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष का रवैया अपनी ताकत दिखाने का रहता है, भले ही उनकी संख्या कम हो। इस संबंध में मोदी ने राजीव गांधी के बयान को उद्धृत किया जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ने संसद में व्यवधान पर पीड़ा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि इससे सरकार का नुकसान होता है लेकिन इससे विपक्ष का भी उतना ही नुकसान होता है जो अपने सवाल उठाना चाहता है।
मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के प्रयासों की भी सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से कुछ विधेयक लोकसभा में पारित हुए। लेकिन वे आगे नहंी बढ़ सके क्योंकि वे राज्यसभा में फंस गए। इनमें से कुछ विधेयकों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि विसिल ब्लोअर संरक्षण संशोधन विधेयक नागरिकों को जागरूक करने के लिए है और मुझे इसे रोके जाने का कोई कारण नजर नहीं आता।
’कुछ हैं जिनसे कोई सवाल नहीं पूछ सकता और न पूछने की हिम्मत करता है और जो पूछता है उसका हश्र क्या होता है, मैंने देखा है
’प्रधानमंत्री ने कहा : ये लोग चाहते हैं कि विपक्ष में कोई ताकतवर नहीं बन जाए। विपक्ष में कोई होनहार नहीं बनना चाहिए। कोई तेजस्वी नहीं दिखना चाहिए। उनकी प्रतिभा का परिचय देश को नहीं हो पाए, यह हीनभावना है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ‘गरीबी हटाओ’ नारे और कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे गरीबी खत्म करने का प्रयास जारी रखेंगे। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने गरीबी के मुद्दे पर कांग्रेस पर जबरदस्त प्रहार किया। उन्होंने कहा – आप (कांग्रेस) सीना तानकर कहते है कि चुनाव के दौरान मैंने कहा था कि देश से गरीबी को उखाड़ फेकंगा। लेकिन आपने गरीबी की जड़ें इतनी गहरी जमाई है कि इसे उखाड़ फेंकना आसान नहीं है। आप यह कह सकते हैं कि मोदी गरीबी को उखाड़ फेंकने का प्रयास करते-करते खुद उखड़ जाएंगे लेकिन गरीबी नहीं जाएगी, फिर भी मैं प्रयास करना जारी रखूंगा। गरीबी की जड़ें कितनी गहरी हंै, यह उन्हें यहां आकर पता लगा। गरीबी की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ रही है। कमियों को दूर करने के प्रयास हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर गरीबी नहीं होती तब मनरेगा जैसी योजनाओं की जरूरत भी नहीं होती। देश में बुनियादी सुविधाओं की कमी और गरीबी जारी रहने के लिए कांग्रेस के करीब 60 वर्षो के शासनकाल को जिम्मेदार ठहराते हुए मोदी ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि हमने यह किया, वह किया। अगर इन वर्षो में वास्तव में काम होता तब उन्हें (मोदी को) गांव में बिजली पहुंचाने, स्कूलों में शौचालयों का निर्माण करने जैसे काम करने का मौका ही नहीं मिलता।
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